जब लोग अपनी लक्ष्य कि ओर जाते है तो उन्हें रास्ते में आई रुकावटों से जीतना होता है, लेकिन क्यों ? By Java Ranjeet
जो लोग लक्ष्य प्राप्त कर लेते है, उनसे जाकर पूछिए कि आपको अपना लक्ष्य प्राप्त करने के बाद कैसा महसूस हो रहा है। में बताता हूं उसका लक्ष्य पा लेने के बाद वह कैसा फील करता होगा । सबसे पहले वह बहुत रोएगा । अब आप पूछेंगे क्यों भाई क्यों की वह अपने दम पर लक्ष्य को प्राप्त किया होगा तब अगर पैसे देकर लक्ष्य को प्राप्त किया होगा तब तो उसका कोई फील ही नहीं होगा । पहले जैसा था वह वेैसा ही रहेगा । उसमें कोई आप बदालाओ नहीं देखेंगे । और जो मेहनत करके अपने दम पर लक्ष्य प्राप्त किया है। तो उसके चेहरे का हसी अलग होगी।
आइए जानते है रुकावटों से जितने के लिए । जैसे कि आप जानते लक्ष्य प्राप्त करने के बाद कितना खुसी मिलती है।लेकिन लक्ष्य कि ओर बढ़ना इतना आसान नहीं पता । जब हम अपने लक्ष्य की मार्ग पर उतर जाते है तो कितने रुकावटे कितने मुश्किलें आती है। रुकावट कोई ऐसा अवरोध होता है जो हमारे लक्ष्य हासिल करने से रोकता है। आप जानते है दो मुख्य प्रकार कि रुकावटें आती है।आंतरिक और बाहरी । आंतरिक रुकावट ऐसा अवरोध होता है जो हमारे अपने अंदर या लक्ष्य में ही मौजूद होती है । जैसे कि ऐसे लक्ष्य में जिसमें सभी पांच स्मार्ट तत्वों का अभाव हो। और बाहरी रुकावट ऐसा अवरोध होती है। जो किसी परिस्थिति या अन्य व्यक्ति के कारण आपके मार्ग में आती है। और यह दोनों रुकावटें साथ-साथ चलती है। आपके आस-पास के लोगों द्वारा आलोचना करना या उन सब से आपको मदद नहीं मिलना यह बाहरी रुकावट हो सकती है। और यह बाहरी रुकावट आंतरिक रुकावट बन जाती है। जब आप यह मानने लगते है कि आपका लक्ष्य गलत या मूर्खता है । या यह की अगर दूसरे लोग सहमत नहीं है तो आप अपने लक्ष्यों तक नहीं पहुंच पाएंगे ।
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